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जल को बचाना ही भविष्य को बचाना है: विजेंद्र गुप्ता
By Virat baibhav | Publish Date: 10/6/2025 7:50:10 PM
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में पानी की कहानी पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर बोलते हुए गुप्ता ने कहा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, जीवन का आधार है। दुर्भाग्यवश, आज हम सभी अनियंत्रित उपभोग और लापरवाह व्यवहार के कारण जल संकट के गंभीर दौर में प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जल संकट अब केवल स्थानीय नहीं रहा, बल्कि वैश्विक रूप ले चुका है, जिसके समाधान के लिए जनजागरण आवश्यक है। कार्यक्रम का आयोजन विधानसभा की विधायी अध्ययन ब्यूरो और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक गोपाल आर्य और पुस्तक के लेखक संजय स्वामी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अध्यक्ष ने लेखक को इस महत्वपूर्ण और सामयिक कृति के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘पानी की कहानी’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि जल संकट के प्रति समाज को सजग करने वाला एक चेतावनी-संदेश, एक आह्वान और समाधान की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। गुप्ता ने जल संरक्षण में जनभागीदारी को अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि साफ पानी के संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकार या संस्थाओं की नहीं है, बल्कि यह हम सभी की साझा नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को इस दिशा में व्यक्तिगत योगदान देना होगा। नल बंद रखना, वर्षा जल संचयन करना और जल-कुशल आदतें अपनाना जैसे छोटे लेकिन असरदार कदम बड़े बदलाव की दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने अंत में कहा कि हर बूंद बचाना और भविष्य को संवारना हमारी सबसे बड़ी सेवा और सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने ने आशा व्यक्त की कि ‘पानी की कहानी’ पुस्तक विशेषकर युवाओं और छात्रों को जल की महत्ता समझाने और संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को अपनाने की दिशा में प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पाठकों को गहराई से प्रभावित करेगी और जल के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत करेगी। इस मौके पर रोहताश नगर के विधायक जितेंद्र महाजन भी उपस्थित रहे। समारोह में बड़ी संख्या में शिक्षकगण, विद्यार्थी, पर्यावरण कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिक एवं समाजसेवियों ने भाग लिया।सभी ने पुस्तक की विषयवस्तु, भाषा और प्रासंगिकता की सराहना की।