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एमएसएमई को समर्थन देने के लिए सरकार ने किया क्यूसीओ ढांचे में सुधार: खाद्य मंत्री
By Virat baibhav | Publish Date: 14/10/2025 8:24:46 PM
एमएसएमई को समर्थन देने के लिए सरकार ने किया क्यूसीओ ढांचे में सुधार: खाद्य मंत्री

नई दिल्ली। सरकार घरेलू एमएसएमई क्षेत्र की आवश्यकताओं के प्रति विचारशील रहते हुए निम्न-स्तरीय उत्पादों के प्रचलन पर अंकुश लगाने के लिए अनिवार्य प्रमाणीकरण के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के दायरे को सुसंगत बना रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा आयोजित विश्व मानक दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित समारोह में यह बात कही। इस अवसर पर बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी, उपभोक्ता मामले विभाग के अपर सचिव भरत खेड़ा, बीआईएस के ओएसडी संजय गर्ग तथा ब्यूरो के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री ने  इस बात पर ज़ोर दिया कि बीआईएस को इन दोनों उद्देश्यों के बीच एक स्थायी संतुलन बनाना होगा। जोशी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 11 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 10वें स्थान से बढक़र चौथे स्थान पर पहुंच गई है, जो सरकार के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन की नीति से प्रेरित एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि भारत अब 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर पूरे आत्मविश्वास से बढ़ रहा है। बीआईएस ने राष्ट्रीय मानकों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाकर इस विजऩ को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मानक एक सुचारु रूप से कार्य करने वाले समाज की रीढ़ हैं, जो उत्पादों, सेवाओं और प्रणालियों में सुरक्षा, गुणवत्ता और विश्वास सुनिश्चित करते हैं। ये मानक निर्बाध घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाते हैं, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाते हैं और उपभोक्ता हितों की रक्षा करते हैं। मानकों का पालन करके, भारत अपने उत्पादों की विश्वसनीयता और वैश्विक बाज़ारों में अपनी स्थिति को मज़बूत करता है। केंद्रीय मंत्री ने दोहराया कि प्रधानमंत्री ने शून्य दोष और शून्य प्रभाव के अपने आह्वान के माध्यम से स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, और ऐसे उत्पादों को बढ़ावा दिया है जो गुणवत्ता में दोषरहित हों और पर्यावरण के लिए हानिकारक न हों। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए और भारतीय मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों के पर्याय बनने चाहिए। जोशी ने बताया कि वर्तमान में 22,300 से अधिक मानक लागू हैं और 94 प्रतिशत भारतीय मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ ) और अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (आईईसी) मानकों के अनुरूप बनाया गया है। तैयार किए गए नए मानकों की संख्या 2014 में 407 से बढक़र 2025 में 1,038 हो गई है। अनिवार्य प्रमाणन के अंतर्गत आने वाले उत्पादों की संख्या भी 2014 में 14 क्यूसीओ के अंतर्गत 106 उत्पादों से बढक़र 2025 में 191 क्यूसीओ तथा दो क्षैतिज क्यूसीओ के अंतर्गत 773 उत्पादों तक हो गई है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एचयूआईडी-चिह्नित आभूषणों की शुरुआत ने उपभोक्ता संरक्षण और विश्वास के नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने उद्योग जगत को मानकों को अधिक व्यावहारिक, गतिशील और भविष्य के लिए तैयार बनाने के लिए मानकीकरण प्रक्रिया में अधिक सक्रियता से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने भारत के मानकीकरण आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले विशेषज्ञों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह दिवस उन लोगों के अथक प्रयासों का जश्न मनाता है जो उद्योगों और अर्थव्यवस्था का मार्गदर्शन करने वाले वैश्विक मानकों को आकार दे रहे हैं। विकास और सहयोग को बढ़ावा देने में वैश्विक मानकीकरण के महत्व पर ज़ोर देते हुए, वर्मा ने मानकों और प्रमाणन के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत के मानकीकरण नायकों की सराहना की। उन्होंने आईएसओ और आईईसी में बीआईएस की सक्रिय भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसने भारत की वैश्विक स्थिति को मज़बूत किया है और राष्ट्रीय मानकों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाया है। 
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