प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस को उचित निगरानी एवं देखभाल से नियंत्रित किया जा सकता है : चिकित्सा विशेषज्ञ
नई दिल्ली। चिकित्सा विशेषज्ञों ने प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा है कि उचित निगरानी और देखभाल से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। चिकित्सकों ने बताया कि गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में ही अल्ट्रासाउंड द्वारा भ्रूण में प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस का पता लगाया जा सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें भ्रूण के मूत्र के जमा होने के कारण एक या दोनों गुर्दों में सूजन आ जाती है।
गुरुग्राम स्थित मेदांता-द मेडिसिटी में बाल चिकित्सा (सर्जरी और मूत्रविज्ञान) विभाग के निदेशक डॉ. संदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि गर्भावस्था खुशी का समय है, लेकिन यह चिंता के क्षण भी ला सकता है, खासकर तब, जब नियमित जांच के दौरान कोई अप्रत्याशित बातें सामने आ जाती हैं। डॉ. सिन्हा ने कहा, प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस कोई असामान्य बीमारी नहीं है। हर 100 गर्भधारण में से एक या दो मामलों में इस स्थिति का पता चलता है। उन्होंने कहा कि प्रसवपूर्व जांच की संख्या में वृद्धि के साथ अब हाइड्रोनफ्रोसिस के मामलों का पता लगाने का अनुपात बढ़ रहा है। डॉ. सिन्हा ने कहा कि यदि जन्म के पहले पांच से छह महीनों में प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस का पता चल जाए और उचित उपचार किया जाए, तो गुर्दे पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं।
यह रोग मूत्र मार्ग में आंशिक रुकावट या मूत्र के वापस गुर्दे में चले जाने के कारण होता है। कुछ मामले जन्म से पहले या बाद में स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ मामलों में मूत्र मार्ग में संक्रमण या गुर्दे की क्षति जैसी जटिलताओं को रोकने के लिए उपचार की आवश्यकता हो सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में बाल चिकित्सा (सर्जरी) के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. प्रबुद्ध गोयल ने कहा, गर्भावस्था के पहले तीन महीने में ही अल्ट्रासाउंड द्वारा भ्रूण में प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस का पता लगाया जा सकता है। प्रसवपूर्व हस्तक्षेप/उपचार की लगभग कभी आवश्यकता नहीं होती है और एमनियोटिक द्रव आमतौर पर सामान्य होता है। असामान्यता के आधार पर, गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता हो सकती है। अधिकांश मामलों में, यह निदान इस बात को प्रभावित नहीं करता है कि बच्चे का जन्म कब, कहां या कैसे होगा। उन्होंने कहा, बाद में उचित देखभाल के साथ, प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस वाले अधिकांश शिशु सामान्य गुर्दे के साथ स्वस्थ होते हैं।