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भगवद्गीता आधुनिक विश्व के लिए ज्ञान का अमृत है: चीनी विद्वान
By Virat baibhav | Publish Date: 26/10/2025 5:03:48 PM
बीजिंग। भगवद्गीता ज्ञान का अमृत और भारतीय सभ्यता का लघु इतिहास है जो आधुनिक समय में लोगों के सामने आने वाली आध्यात्मिक और भौतिक दुविधाओं का समाधान करती है। यह बात प्रसिद्ध चीनी विद्वानों ने प्राचीन भारतीय ग्रंथ की सार्वजनिक तौर पर प्रशंसा में कही जो अपने आप में एक दुर्लभ मामला है। यहां शनिवार को भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित संगमम - भारतीय दार्शनिक परंपराओं का संगम विषय पर एक संगोष्ठी में भगवद्गीता पर बोलते हुए चीनी विद्वानों ने गीता को भारत का दार्शनिक विश्वकोश बताया और भौतिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की इसकी कालातीत अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता 88 वर्षीय प्रोफेसर झांग बाओशेंग थे, जिन्होंने भगवद्गीता का चीनी भाषा में अनुवाद किया है। गीता को एक आध्यात्मिक महाकाव्य और भारत का दार्शनिक विश्वकोश बताते हुए, उन्होंने कहा कि इसका अनुवाद आवश्यक था क्योंकि यह भारत के आध्यात्मिक दृष्टिकोण - कर्तव्य, कर्म और वैराग्य के प्रति उसके विचारों - को प्रकट करता है, जो आज भी भारतीय जीवन को आकार देते हैं। दक्षिण में केप कोमोरिन (जिसे अब कन्याकुमारी के नाम से जाना जाता है) से लेकर उत्तर में गोरखपुर तक भारत में अपने अनुभवों (1984-86) का वर्णन करते हुए प्रोफेसर झांग ने कहा कि हर जगह, उन्होंने भगवान कृष्ण की उपस्थिति महसूस की एक जीवित नैतिक और आध्यात्मिक प्रतिमा।