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भारत और श्रीलंका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर
By Virat baibhav | Publish Date: 5/4/2025 11:54:53 PM
नई दिल्ली/कोलंबो। भारत और श्रीलंका ने पहली बार सैन्य क्षेत्र में गहन सहयोग के लिए एक ढांचे को संस्थागत बनाने के संबंध में शनिवार को प्रमुख रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों की सुरक्षा एक दूसरे से जुड़ी हुई है और एक दूसरे पर निर्भर है। यह महत्वपूर्ण समझौता श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा सेना (आईपीकेएफ) के हस्तक्षेप के लगभग चार दशक बाद हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में बेहतरी का संकेत मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने तथा पावर ग्रिड कनेक्टिविटी पर एक समझौता शामिल है। त्रिपक्षीय ढांचे के तहत त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने से संबंधित समझौता में संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है। मोदी ने दोहराया कि भारत हमेशा श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा, वहीं दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका अपनी भूमि का इस्तेमाल किसी भी ऐसे तरीके से नहीं होने देगा जो भारत और क्षेत्र के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल हो। बैठक में प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच मछुआरों के विवादास्पद मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से सुलझाने की वकालत की और उम्मीद जताई कि श्रीलंका तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराएगा। मीडिया में जारी अपने वक्तव्य में मोदी ने कहा कि भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए पिछले छह महीनों में ही 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के ऋण को अनुदान में परिवर्तित कर दिया है और देश को दिए गए ऋणों पर ब्याज दरें कम करने की घोषणा की है। सात समझौतों के अलावा भारत ने श्रीलंका के लिए आर्थिक सहायता के एक हिस्से के रूप में ऋण पुनर्गठन समझौते को भी अंतिम रूप दिया। मोदी ने कहा कि इससे श्रीलंका के लोगों को तत्काल सहायता और राहत मिल सकेगी। मोदी ने घोषणा की कि श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए लगभग 2.4 अरब श्रीलंकाई रुपए का सहायता पैकेज प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी का श्रीलंका की राजधानी के मध्य में स्थित इंडीपेंडेंस स्क्वायर पर भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी को द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए मित्र विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रीलंका का यह सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है।
मोदी-दिसानायके वार्ता में 10 से अधिक ठोस परिणाम सामने आए, रक्षा समझौते को रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह समझौते श्रीलंका में आईपीकेएफ के हस्तक्षेप के लगभग 35 साल बाद हुआ है जिससे संकेत मिलता है कि दोनों देशों के रक्षा संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं। मोदी ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे सुरक्षा हित समान हैं। दोनों देशों की सुरक्षा एक दूसरे से जुड़ी हुई है और एक दूसरे पर निर्भर है। उन्होंने कहा, मैं भारत के हितों के प्रति राष्ट्रपति दिसानायके की संवेदनशीलता के लिए उनका आभारी हूं। हम रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण समझौतों का स्वागत करते हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा, हमने दोनों देशों के बीच पहले से ही उत्कृष्ट रक्षा सहयोग में अपने सहयोग को और आगे बढ़ाने के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। दिसानायके ने अपने वक्तव्य में कहा, मैंने श्रीलंका के इस रुख को फिर से दोहराया कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे तरीके से करने की अनुमति नहीं देगा जो भारत की सुरक्षा तथा क्षेत्रीय स्थिरता के प्रतिकूल हो। मोदी ने कहा कि भारत को एक सच्चे मित्रवत पड़ोसी के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर गर्व है। उन्होंने कहा, चाहे वह 2019 का आतंकवादी हमला हो, कोविड महामारी हो या हालिया आर्थिक संकट हो, हम हर कठिनाई के दौरान श्रीलंका के लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका में हस्तक्षेप के दौरान तैनात आईपीकेएफ के शहीद जवानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्षा समझौते को लेकर एक सवाल पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह एक व्यापक ढांचा है जो मौजूदा रक्षा सहयोग पहल को और अधिक व्यवस्थित बनाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा की पूरी तरह से परस्पर संबद्ध प्रकृति पर दोनों पक्षों के विचारों में करीबी समानता की बात भी की। मिस्री ने कहा कि रक्षा समझौते से अधिक संयुक्त अभ्यास, क्षमता निर्माण, दोनों देशों की नौसेन्य इकाइयों की बंदरगाह यात्राओं में वृद्धि होगी तथा इससे दोनों पक्षों के बीच रक्षा उद्योग सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। अन्य उल्लेखनीय समझौतों में डिजिटल समाधान साझा करने के क्षेत्र में सहयोग तथा पूर्वी प्रांत के लिए भारत की बहु-क्षेत्रीय अनुदान सहायता पर समझौता शामिल है।